इस देश के नागरिक की प्रथम जिम्मेदारी किसके प्रति है देश के प्रति या धर्म के प्रति है ? यह सवाल देश में पैदा हो गया है। कनाॆटक के कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर जो बवाल हुआ है वह देश की सबसे ओबड़ी अदालत में जा पहुंचा है। आइए समझते हैं।
कनाॆटक के कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब का विषय। देशभर में विवाद में है। एक तरफ हिजाब पहने छात्राएं नारेबाजी कर रही है तो दूसरी तरफ भगवाधारी छात्र खड़े है। अदालत में अभी भी सुनवाई चल रही है ये तो समय ही बताएगा की कौन सही है।
इसमें मुस्लिम छात्राओं का कहना है की हिजाब पहनने की अनुमति न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। वहीं,अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 तक धामिॆक स्वतंत्रता के अधिकार का जिक्र है।
अब बहुत से लोगों का कहना ये भी है कि अगर सिक्खों को पग पहने कि इजाज़त है तो मुस्लिम लड़कीयों को हिजाब पहने की क्यों नहींं ?
इस सवाल का जवाब है की सिक्खों को उनकी पग पहनने का अधिकार उच्चतम न्यायालय ने दिया है। दूसरा मुख्य बिंदू यह है कि हमारे देश के सभी विद्यालयों में एक आवश्यक वर्दी हैैं। इस वर्दी का मतलब यह है कि सभी बच्चे या विद्यार्थी एक समान दिखे।
अब अगर हम अपने शिक्षा केन्द्र में अपनी धार्मिक वस्तू या पोशाक पहना चाहेंगे तो वह सामानता नहीं होगी।
अब अगर कनाॆटक हिजाब विवाद की बात करें तो उपरोक्त बात के द्र्ष्टिकोण से दोनो, हिजाब की मांग करने वाली लड़कीयाँ और भगवाधारी लड़के गलत हैं क्यूंकि वह विद्यालय की पोशाक में छीपी एकता व समानता को खतम करना चाह रहे है जो की उचित नहीं हैं।
लेकिन जो लोग यह कहते हैं कि विद्यालय में हिजाब न पहनने देना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है तो मेरा उनसे सवाल है कि अगर आप मदरसे में जीनस और टी शरट पहनना चाहें तो क्या आप पहन सकते है? और अगर नहीं पहन सकते तो क्या वह मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हैं?
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